बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

अश्कों से भीगी वो चांदनी

अश्कों से भीगी वो चांदनी रात भर भिगोती रहीं
जागती रही कोई दो आँखें और ये दुनिया सोती रही !!

हाथों में हाथों को लेकर जब वो बैठे थे यही .
लब भी ना हिले थे और ना जाने कितनी बातें होती रही !!
अपनी अलग दुनिया, अपना अलग आसियाना
तुझे  देख कर खुद बखुद पलकों का झुक जाना !!
तेरे काँधे पे रख के सर  कितने ही ख्वाब पिरोती रही

पर क्या पता था कि शीशे से ये ख्वाब हमेशा टूट जाते है
अक्सर बेगाने अपने बनकर तुमसे सब कुछ लूट जाते है !!

वो रातें जो तुम्हे बिना बात के हँसना  सिखा  देती है
वो खवाब जो पलकों पे शामियाना बना लेती है!!

एक शख्स के चले भर जाने से कैसे रूठ जातें है
हम हसतें हसतें  रोते है, और रोते रोते मुस्कुराते है !!

और वो चांदनी इन ख्यालो से ऒस की बूंदें संजोती रही
जागती रही कोई दो आँखें और ये दुनिया सोती रही !!
प्रीती 

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

लेन देन

मैंने ख़ामोशी थोड़ी संजो रखी है , 
अल्फाजो से जी भर जाये 
तो थोड़ी मुझसे ले जाना ...
एक अदद तन्हाई भी थोड़ी ,बिखरी है उस कोने में 
खुशियाँ तुमको रास ना आये
तो थोड़ी मुझसे ले जाना .....
कुछ मोती कि लड़िया भी है उस माटी के मटके में
जब कभी आखें भर आये 
तो थोड़ी मुझसे ले जाना ......
रात हुई और तो जले बुझे है कुछ ख्वाब के जुगनूं आखों में 

जब नींद तुम्हे ना आने पाए

तो थोड़े मुझसे ले जाना ....
इक गोद का तकियाँ फटा पुराना कब से पड़ा हुआ यहाँ पर
कभी तुम्हारा दिल भर आये
तो ये तकियाँ मुझसे ले जाना ....
हां इक शर्त भी लेकिन सुनते जाओ ,खैरात नहीं है बाटी मैंने
ले जाना तुम ये सब कुछ मुझसे
बस अपने दो पल दे जाना ......
बस अपने दो पल दे जाना ......प्रीती