मंगलवार, 19 मार्च 2013

तोहफा ......

तुम खामखाँ  तकल्लुफ्फ़ करते हो बोलने का
मै तुम्हारी ख़ामोशी से भी लफ्ज़ तोड़ लेती हूँ !!
ये रस्मो रिवाज दुनिया के खातिर रख संभाल  के 
मै जरा अपने नाम में बस तेरा नाम जोड़  लेती हूँ !!
मेरी खुसबू से तेरा पता क्यूँ मिले लोगों को भला
इन गद्दार साँसों से ही मै अपना रिश्ता तोड़ लेती हूँ !!
मत बदल तू , हर बार शहर मेरी यादों के डर से
मेरा तोहफा है तुझे,इस दफे मै ही शहर छोड़ देती हूँ !!
प्रीती